Saturday, May 14, 2011

दो लफ्ज़ किसीकी खिदमत में

इन गहरी निगाहों में तुम्हारी यूँही तैरता रहूँ,
वोह दो लफ्ज़ प्यार के तुम्हारे जिनमे एक उम्र बिता दूं,
यह मुसकुराहत तुम्हारी जिनमे सारे गम छूपा लूं,
ऐ दिलरुबा , तुम्हारी तस्वीर के साथ ही अपना जीवन गुज़ार दूं.


इस प्यार में, इस इंतज़ार में, छुपा हैं हर वोह एहसास जिसके छूने से मन्न में ऊठी एक कशीष. एक उम्र थी उस पल में जिसमे हम एक होकर बिच्चड गए.

सब कहते हैं प्यार में दर्द होता हैं,
करके देखे कोई तुमसे प्यार तो कहेगा हर दर्द में प्यार होता हैं.

दिल के इस खेल में ना जाने तुमने कितने पल बिताएं,
कुछ बिन बताएं और कुछ बिन हसाएं.

प्यार पागल है और हम बेहाल,
प्यार ज़िन्दगी है और हम सांस,
प्यार तुम हो और हम तुम.

अगर तुम सोचती की हम तुमसे और तुम हमसे तो क्या गलत होता, फर्क बस इतना होता की तुम तुमसे न होती और हम उनसे न होते.

वोह जाम ही क्या जिसमें तुम्हारा एहसास ना हों, वोह नशा ही क्या जुसमे तुम्हारा ख्याल ना हो.

उन्होनें इतना सब मांग लिया की जान भी कम पड गई.

इस रात के अँधेरे में ना हमने कुछ कहाँ, ना तुमने कुछ कहाँ,
पर तुम्हारी आहट कह गयी वोह बात जो कभी लफ्ज़ ना कह सके.

प्यार के इस खेल में ना तुम जीत सके ना हम,
चल दिए तुम और रह गए हम.

तुम्हारा साथ चाहे वोह हर दम,
हमारा साथ चाहे वोह हर दम,
निशानी हैं प्यार की तुम्हारी और मेरी,
नफरत से मत भर, ऐ ज़ालिम, तुम्हे अपने खून की कसम.

10 comments:

Gaurav said...

Good work Alok

Dad said...

Thank you Gaurav.

Anonymous said...

sahi hai ladke!

Dad said...

Thank you Neha.

Tulika Verma said...

Nice :) would be easier to read if you used hindi(devnagari)font..but very poetic :)

Vismitha said...

nafrat se mat bhar, ae zaalim, tumhe apne khoon ki kasam.. Wah! KYA LINE HAIN.
Bahut accha hain alok, Bahut accha =P

Dad said...

@tulika: thank you for the suggestion. I like it better now.

@vismitha: thank you Vee!! :)

sweetest sin said...

nice work.... u can make it better...:)

Avu said...

Nice one n keep going :)

Manpreet Bedi said...

Alok baba ki jai. :)